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संत मीरां बाई : Rajasthan ki Sant Mahila, Krishna Bhakt Poet & Singer

संत मीरां बाई : Rajasthan ki Sant Mahila, Krishna Bhakt Poet & Singer

संत मीरां बाई (Sant Mira Bai) का जीवन, जन्म, विवाह, भक्ति, रचनाएँ और योगदान। Rajasthan की महान Sant Mahila एवं कृष्ण भक्त कवयित्री का इतिहास। 

परिचय (Introduction)

मीरां बाई : 16वीं सदी की महान संत महिला

कृष्ण भक्त कवयित्री एवं गायिका

राजस्थान की राधा (Radha of Rajasthan) कहलायीं

सरल भक्ति, भजन-कीर्तन व नृत्य से भक्ति मार्ग प्रचार

जन्म और परिवार (Birth & Family)

जन्म : 1498 ई., कुड़की (पाली, राजस्थान)

पिता : रतनसिंह राठौड़ (जागीरदार, बाजोली)

दादा : राव दूदा (मेड़ता)

बचपन का नाम : पेमल

पालन-पोषण : मेड़ता

विवाह और जीवन (Marriage & Life)

विवाह : 1516 ई. (संवत 1573)

पति : भोजराज, राणा सांगा के ज्येष्ठ पुत्र

सात वर्ष बाद विधवा हो गई

देवर राणा विक्रमादित्य द्वारा विरोध और यातनाएँ–

ज़हर पिलाने का प्रयास

साँप से कटवाने का प्रयास

चरित्र पर संदेह

दंड की कोशिशें

भक्ति का मार्ग (Devotion Path)

कृष्ण भक्ति दादी से सीखी

बचपन में ‘गिरधर गोपाल’ को पति माना

भजन, नृत्य, सगुण भक्ति मार्ग को अपनाया

संत रूप गोस्वामी के साथ प्रसंग जिसमें गोस्वामीजी का स्त्रियों से न मिलने का प्रण था परन्तु मीरा जी ने तर्क दिया कि “वृंदावन में एकमात्र पुरुष श्रीकृष्ण” है बाकी सब स्त्रियां है, जिससे रूप गोस्वामी प्रभावित हुए ।

अंतिम समय (Last Years)

स्थान : द्वारका (डाकोर स्थित रणछोड़ मंदिर)

समय : 1547 ई.

भगवान श्रीकृष्ण में विलीन

रचनाएँ (Works of Mira Bai)

पदावलियाँ (Padavaliyan) – प्रसिद्ध भक्ति गीत

टीका राग गोविन्द

नरसी मेहता की हुंडी

रुक्मिणी मंगल

निर्देशन में रचना : नरसी जी रो मायरो (रतना खाती द्वारा)

विशेष योगदान (Major Contributions)

महिला संतों में सर्वोच्च स्थान

कृष्ण भक्ति साहित्य की अमर कवयित्री

Rajasthan ki Sant Mahila → भारतीय संत परंपरा की प्रेरणा

आज भी भजन-कीर्तन में अमर

सारांश (Conclusion)

संत मीरां बाई, राजस्थान की महान संत महिला और कृष्ण भक्त कवयित्री, नारी भक्ति शक्ति की प्रतीक हैं। उनका जीवन समाज के बंधनों से परे होकर केवल गिरधर गोपाल के प्रति समर्पण का संदेश देता है। उनकी पदावलियाँ और भजनों ने भारतीय भक्ति आंदोलन को अमर कर दिया।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

Q1. मीरां बाई का जन्म कब और कहाँ हुआ?

Ans. लगभग 1498 ई., कुड़की (पाली, राजस्थान)।

Q2. मीरां बाई को किस नाम से जाना जाता है?

Ans. ‘राजस्थान की राधा’ और कृष्ण भक्त कवयित्री।

Q3. मीरां बाई की प्रसिद्ध रचनाएँ कौन-सी हैं?

Ans. पदावलियाँ, टीका राग गोविन्द, नरसी मेहता की हुंडी, रुक्मिणी मंगल।

Q4. मीरां बाई का अंतिम समय कहाँ बीता?

Ans. द्वारका (डाकोर के रणछोड़ मंदिर) में, 1547 ई.।

Important Facts Table

पूरा नाम   संत मीरा बाई (Sant Meera Bai)
जन्म तिथि   1498 ई. (कुछ मान्यताएँ 1499 ई.)
जन्म स्थान कुड़की गाँव, पाली ज़िला (राजस्थान)
पिता का नाम  रतनसिंह राठौड़ (मेड़ता के शासक)
माता का नाम वीरकुमारी
कुल/वंश राठौड़ वंश
बचपन की घटना छोटी उम्र में ही कृष्ण प्रतिमा को अपना पति मान लिया
विवाह  1516 ई. में चित्तौड़गढ़ के राजा भोजराज (महाराणा सांगा के पुत्र) से
पति की मृत्यु भोजराज का निधन युवावस्था में हो गया
जीवन मार्ग  सांसारिक जीवन त्याग कर पूर्ण रूप से कृष्ण भक्ति में लीन
भक्ति साधना कृष्ण भजन-कीर्तन, पद-रचना, मंदिरों में रात्रि साधना
भाषा   ब्रजभाषा, राजस्थानी, हिन्दी
प्रमुख रचनाएँ मीरा के पद, गीत गोविन्द की टीकाएँ
गुरु / प्रेरणा संत रविदास से मार्गदर्शन प्राप्त
चमत्कार/किवदंती  विष का प्याला पीने पर भी अमृत हो गया नागदंश और शय्या पर भी प्रभु की रक्षा अंततः कृष्ण की मूर्ति में लीन हो जाना
मृत्यु/समाधि  1547 ई. (कुछ मान्यताएँ 1546 ई.)
स्थान द्वारका (गुजरात)
विशेषता  भक्तिकाल की महान संत कवयित्री, कृष्ण प्रेम और समर्पण की प्रतिमूर्ति

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