कैला देवी करौली राजस्थान की यदुवंशीय कुलदेवी मानी जाती हैं। त्रिकूट पर्वत पर स्थित यह शक्तिपीठ चैत्र शुक्ल अष्टमी को लगने वाले लक्खी मेले और भक्तों द्वारा गाए जाने वाले लांगुरिया गीतों के लिए प्रसिद्ध है। जानें कैला देवी का इतिहास, पौराणिक कथा और धार्मिक महत्व।
Page Contents
Toggleमुख्य बिंदु (Notes Form)
कैला देवी का परिचय
करौली, राजस्थान
यदुवंश की कुलदेवी
दुर्गा का स्वरूप
शक्तिपीठ महत्व
पौराणिक मान्यता
कंस द्वारा शिला पर पटकने की घटना
नवजात कन्या = योगमाया
त्रिकूट पर्वत पर प्रकट = कैला देवी
शत्रुनाशिनी व रक्षा स्वरूप देवी
धार्मिक महत्व
देवी दुर्गा का अवतार
राजस्थान व उत्तर भारत में आस्था
नवरात्रि व चैत्र मास में विशेष पूजा
कैला देवी का मेला (लक्खी मेला)
समय: चैत्र शुक्ल अष्टमी से
हजारों श्रद्धालु प्रतिवर्ष शामिल
15 दिन का आयोजन
धार्मिक उत्सव + लोकसंस्कृति
लांगुरिया गीत
कैला देवी की आराधना में गाए जाने वाले
भक्तिमय लोकगीत
राजस्थान की लोकधरोहर
करौली व कैला देवी मंदिर
ऐतिहासिक व वास्तु महत्व
राजवंशीय परंपराओं से जुड़ा
FAQs (Frequently Asked Questions)
Q1. कैला देवी का मंदिर कहां स्थित है?
A1. कैला देवी मंदिर राजस्थान के करौली जिले में त्रिकूट पर्वत पर स्थित है।
Q2. लक्खी मेला कब लगता है?
A2. चैत्र मास की शुक्ल अष्टमी से हर वर्ष यह मेला आयोजित होता है।
Q3. लांगुरिया गीत क्या हैं?
A3. यह भक्ति लोकगीत हैं, जिन्हें भक्त कैला देवी की स्तुति में गाते हैं।
Q4. कैला देवी किस देवता का रूप मानी जाती हैं?
A4. इन्हें दुर्गा का स्वरूप माना जाता है।
Q5. कैला देवी से संबंधित पौराणिक कथा क्या है?
A5. मान्यता है कि योगमाया रूपी कन्या त्रिकूट पर्वत पर कैला देवी बनकर प्रकट हुईं।
Table: कैला देवी मंदिर की जानकारी
स्थान | करौली, राजस्थान |
कुलदेवी | यदुवंश |
रूप | दुर्गा स्वरूप |
प्रसिद्ध आयोजन | चैत्र शुक्ल अष्टमी लक्खी मेला |
विशेषता | लांगुरिया गीत |
पौराणिक कथा | योगमाया का प्रकट होना |
मंदिर का महत्व | शक्तिपीठ व आस्था केंद्र |