Sant Mavji Nishkalank Sampraday संत मावजी राजस्थान के डूंगरपुर जिले के महान संत माने जाते हैं। उन्होंने निष्कलंक संप्रदाय की स्थापना की, जो भक्ति, समानता और सामाजिक सुधार का प्रतीक है। मावजी को विष्णु का कल्कि अवतार माना जाता है। उनका मुख्य धाम वेणेश्वर है, जो माही, सोम और जाखम नदियों के संगम पर स्थित है।
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Toggle1. संत मावजी का जीवन परिचय
जन्म – संवत 1771, ग्राम साबला (डूंगरपुर)
कुल – औदीच्य ब्राह्मण
पिता – दालम ऋषि
माता – केसरबाई
तपस्या – माही और सोम नदी संगम पर
ज्ञान प्राप्ति – संवत 1784, माघ शुक्ला एकादशी
निधन – संवत 1801, शेषपुर (उदयपुर जिला)
2. वेणेश्वर धाम और निष्कलंक संप्रदाय
वेण वृंदावन (वेणेश्वर धाम) स्थापना – माही, सोम, जाखम नदियों के त्रिवेणी संगम पर
निष्कलंक संप्रदाय का प्रवर्तन – वर्गभेद/वर्णभेद रहित सात्विक भक्ति
संत मावजी को विष्णु का कल्कि अवतार माना जाता है
3. संत मावजी के सामाजिक सुधार
1. अछूतों का सम्मान व “साध” की उपाधि
2. विधवा विवाह को मान्यता
3. अंतर्जातीय विवाह का प्रचार
4. अंधविश्वास से मुक्ति हेतु आंदोलन
5. आदिवासी समाज में जागरूकता
6. कन्या-विक्रय का विरोध
7. मद्य-मांस का परित्याग
4. चौपड़ा ग्रंथ और शिक्षाएं
रचना – 72,96,000 छंद
स्थान – धोलागढ़ एकांतवास
विशेषता – केवल दीपावली पर दर्शन हेतु प्रदर्शित
भा षा – हिन्दी-मिश्रित बागड़ी
विषय – कृष्ण लीलाएं, रासलीला, भविष्यवाणियां
5. संत मावजी और रासलीला
रासलीला को बड़ा महत्व
प्रेम-भक्ति (Bhakti of Love) का प्रतीक
सहज भक्ति मार्ग का प्रचार
6. संप्रदाय की आराधना पद्धति
सुबह 4 बजे प्रभातिया भजन
स्नान, अर्चन, आरती, शंखनाद
भगवान को झूला झुलाना
10 बजे भोग लगाना और आरोगणा गीत
12 बजे भगवान का शयन
संध्याकालीन आरती और रात्रि विश्राम
7. निष्कलंक संप्रदाय के मंदिर
साबला – मुख्य पीठ (चतुर्भुज मूर्ति, शंख-चक्र-गदा-पद्म सहित)
पूंजपुर – साहूदेवी द्वारा निर्मित मंदिर
शेषपुर – समाधिस्थल
बेणेश्वर धाम – सर्वधर्म समन्वय मंदिर
बाँसवाड़ा – पालोदा मंदिर
8. संत मावजी का योगदान
निर्गुण और सगुण का समन्वय
जातिवाद का विरोध
अछूत और आदिवासियों का उद्धार
समाज सुधारक, संत और भविष्यवक्ता
9. सारांश
संत मावजी राजस्थान की संत परंपरा के महान व्यक्तित्व थे, जिन्होंने 18वीं शताब्दी में निष्कलंक संप्रदाय की स्थापना की। उनका जन्म डूंगरपुर जिले के साबला गाँव में औदीच्य ब्राह्मण परिवार में हुआ, लेकिन उन्होंने बचपन से ही सांसारिक जीवन छोड़ तपस्या को अपनाया। मावजी को विष्णु का कल्कि अवतार माना जाता है। वेणेश्वर धाम की स्थापना और निष्कलंक संप्रदाय के प्रवर्तन ने उन्हें जन-जन के आराध्य संत बना दिया।
मावजी ने समाज सुधार के लिए उल्लेखनीय कार्य किए। उन्होंने अछूतों को सम्मान दिया, विधवा विवाह और अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहन दिया, अंधविश्वास और सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया। उन्होंने चौपड़ा नामक विशाल ग्रंथ की रचना की, जिसमें कृष्ण की लीलाओं, रासलीला और भविष्यवाणियों का वर्णन है। इस ग्रंथ ने आदिवासी समाज को भक्ति और ज्ञान से जोड़ा।
निष्कलंक संप्रदाय आज भी समानता, भक्ति और मानवता का प्रतीक है। इसके अनुयायी सादा जीवन, शुद्ध आचरण और “जय महाराज” के अभिवादन से अपनी पहचान बनाए रखते हैं।
Quick Revision Facts Table
विषय |
तथ्य |
जन्म | संवत 1771, साबला (डूंगरपुर) |
माता-पिता | दालम ऋषि – केसरबाई |
ज्ञान प्राप्ति | निष्कलंक संप्रदाय |
निधन | संवत 1801, शेषपुर (उदयपुर) |
ग्रंथ | चौपड़ा (72,96,000 छंद) |
मंदिर | साबला, पूंजपुर, शेषपुर, वेणेश्वर, पालोदा |
विचार | समानता, अंतर्जातीय विवाह, विधवा विवाह, कुरीति विरोध |
विशेषता | विष्णु का कल्कि अवतार माने जाते हैं |
11. FAQ – Frequently Asked Questions
Q1. संत मावजी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?
संत मावजी का जन्म संवत 1771 में डूंगरपुर जिले के साबला गाँव में हुआ था।
Q2. संत मावजी किस संप्रदाय के प्रवर्तक थे?
वे निष्कलंक संप्रदाय के प्रवर्तक थे।
Q3. संत मावजी को किसका अवतार माना जाता है?
उन्हें भगवान विष्णु का कल्कि अवतार माना जाता है।
Q4. संत मावजी का प्रमुख धाम कौन-सा है?
वेणेश्वर धाम, जो माही, सोम और जाखम नदियों के संगम पर स्थित है।
Q5. संत मावजी के द्वारा रचित ग्रंथ का नाम क्या है?
चौपड़ा, जिसमें 72,96,000 छंद हैं।
Q6. संत मावजी ने समाज सुधार के लिए क्या किया?
उन्होंने अछूतों का सम्मान किया, विधवा विवाह और अंतर्जातीय विवाह का समर्थन किया और अंधविश्वास का विरोध किया।
Q7. निष्कलंक संप्रदाय के अनुयायी किस तरह की वेशभूषा पहनते हैं?
वे सफेद वस्त्र, माथे पर चंदन का तिलक और गले में तुलसी की माला धारण करते हैं।
Q8. निष्कलंक संप्रदाय के अनुयायी आपस में कैसे अभिवादन करते हैं?
वे “जय महाराज” कहकर अभिवादन करते हैं।
Q9. संत मावजी की मृत्यु कहाँ हुई थी?
उनका निधन संवत 1801 में शेषपुर गाँव में हुआ।
Q10. संत मावजी की शिक्षाओं में रासलीला का क्या महत्व है?
रासलीला प्रेम-भक्ति का प्रतीक है और इसे उन्होंने भक्ति पद्धति का महत्वपूर्ण हिस्सा बनाया।