
“गौड़ीय सम्प्रदाय के प्रवर्तक चैतन्य महाप्रभु थे। उनका अचिन्त्य भेदाभेद दर्शन और राधा-कृष्ण भक्ति आज भी वृंदावन से जयपुर तक जीवंत है।”
Gaudiya Sampradaya
प्रवर्तक – चैतन्य महाप्रभु
जन्म – नदिया,बंगाल
पत्नी – विष्णुप्रिया
गुरु – माध्वाचार्य
बचपन का नाम – निमाई
उपनाम – विश्वम्भर
दर्शन – अचिन्तयभेदाभेद
मंदिर | स्थान | निर्माणकर्ता |
गोविंद देवजी | वृंदावन | राजा मानसिंह |
राधागोविंदजी | जयपुर | सवाई जयसिंह |
मदनमोहनजी | करौली | गोपालसिंह |
गोपीनाथजी मंदिर | जयपुर | मधु पंडित |
इन मंदिरों में राधा–कृष्ण की यूगल मूर्ति की पूजाकरते हैं।जयपुर के शासकों ने थे गोविंददेवजी को राजा व स्वय को जयपुर उनका दीवान माना।
सारांश
“गौड़ीय सम्प्रदाय चैतन्य महाप्रभु की भक्ति धारा है, जिसने राधा–कृष्ण के प्रेम और भक्ति को जीवन का सबसे बड़ा साधन माना। वृंदावन से लेकर जयपुर और करौली तक बने मंदिर आज भी इस परंपरा की जीवंत गवाही देते हैं। जयपुर के शासकों ने स्वयं को गोविंद देवजी का दीवान मानकर भक्ति और समर्पण का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया। सच कहा जाए तो गौड़ीय सम्प्रदाय सिर्फ दर्शन नहीं, बल्कि प्रेम, भक्ति और जीवन जीने की गहरी प्रेरणा है।”