PANNA DHAAY पन्ना धाय का बलिदान भारतीय इतिहास की सबसे महान त्याग गाथाओं में से एक है। जानिए कैसे एक धाय माँ ने अपने पुत्र की बलि देकर मेवाड़ के उत्तराधिकारी महाराणा उदयसिंह की रक्षा की।
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Toggleपरिचय (Introduction)
भारतीय इतिहास में कुछ नाम ऐसे हैं जो त्याग, निष्ठा और मातृत्व के प्रतीक बन जाते हैं। यह उन्हीं महान स्त्रियों में से एक थीं। उन्होंने अपने पुत्र का बलिदान देकर मेवाड़ की राजगद्दी को सुरक्षित किया। यह घटना न केवल मेवाड़ बल्कि पूरे भारत के इतिहास में अमर है।
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ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (Historical Background)
महाराणा सांगा की मृत्यु: 1528 ई.
उत्तराधिकारी अयोग्य, मेवाड़ में अव्यवस्था
गुजरात का शासक बहादुर शाह आक्रमण करता है
महाराणा विक्रमादित्य की शक्तिहीनता स्पष्ट
पन्ना धाय कौन थीं? (Who was Panna Dhai?)
जाति: खींची गुर्जरी
भूमिका: धाय माँ (Nanny/Nursemaid)
शिशुओं की देखभाल, राजवंश की परवरिश
महाराणा विक्रमादित्य एवं उदयसिंह की धाय
घटना का विवरण (The Great Sacrifice Story)
1528 ई. में महाराणा सांगा की मृत्यु के बाद मेवाड़ अस्थिर हो गया। सांगा के भाई पृथ्वीराज का पुत्र बनवीर गद्दी हथियाना चाहता था। उसने पहले महाराणा विक्रमादित्य की हत्या की और फिर नन्हे युवराज उदयसिंह को मारने का प्रयास किया।
लेकिन उस समय इन्होने ही ने मातृत्व का अद्भुत उदाहरण पेश किया। उन्होंने अपने पुत्र चंदन को उदयसिंह की जगह सुला दिया। बनवीर ने तलवार से चंदन की हत्या कर दी, परंतु उदयसिंह को सुरक्षित कुभलनेर किले भेज दिया गया।
यह घटना भारतीय इतिहास में स्वामिभक्ति और बलिदान का सर्वोच्च उदाहरण है।
पन्ना धाय का योगदान (Contribution of Panna Dhai)
उदयसिंह के प्राणों की रक्षा
मेवाड़ की गद्दी सुरक्षित
मातृत्व और स्वामिभक्ति का आदर्श
इतिहास में अमर स्थान
रोचक तथ्य (Interesting Facts)
इनको आज भी “मातृत्व की मूर्ति” कहा जाता है।
मेवाड़ में उनके बलिदान को वार्षिक मेलों और स्मारकों में याद किया जाता है।
भारतीय पाठ्यपुस्तकों में पन्ना धाय का त्याग विशेष रूप से शामिल है।
सारांश (Summary)
पन्ना धाय का जीवन सिखाता है कि सच्ची निष्ठा और त्याग किसी भी साम्राज्य की नींव को मजबूत बना सकते हैं। अपने पुत्र का बलिदान देकर उन्होंने जो इतिहास रचा, वह आज भी भारतीय संस्कृति की धरोहर है।
पन्ना धाय का जीवन-क्रम (Timeline Table)
1528 ई. महाराणा सांगा की मृत्यु मेवाड़ में उत्तराधिकारियों के कारण अव्यवस्था |
1530 ई. महाराणा विक्रमादित्य का शासन कमजोर और अयोग्य शासक साबित हुए |
1535 ई. बनवीर का षड्यंत्र महाराणा विक्रमादित्य की हत्या की और उदयसिंह को मारने की योजना बनाई |
1535 ई. पन्ना धाय का बलिदान अपने पुत्र चंदन को उदयसिंह की जगह सुलाकर बलिदान दिया |
1537–72 ई. महाराणा उदयसिंह का शासनकाल उदयसिंह सुरक्षित रहे और आगे चलकर मेवाड़ के शासक बने |
बाद के वर्ष पन्ना धाय की स्मृति मेवाड़ में मंदिर, स्मारक और साहित्य में अमर गाथा के रूप में स्थान |
FAQ Section
Q1. पन्ना धाय कौन थीं?
मेवाड़ की धाय माँ, जिन्होंने महाराणा उदयसिंह की रक्षा की।
Q2. पन्ना धाय का सबसे बड़ा बलिदान क्या था?
अपने पुत्र चंदन की बलि देकर उदयसिंह को बचाना।
Q3. यह घटना कब हुई थी?
1535 ई. में, बनवीर द्वारा उदयसिंह की हत्या के प्रयास के समय।
Q4. पन्ना धाय से हमें क्या सीख मिलती है?
त्याग, वफादारी और स्वामि भक्ति।
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पन्ना धाय |
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