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गोगाजी महाराज राजस्थान के लोकदेवता और साँपों के देवता माने जाते हैं। इन्हें ‘जाहर वीर गोगा’ कहा जाता है। भाद्रपद कृष्ण पक्ष की नवमी को गोगा नवमी के रूप में मनाया जाता है। गोगाजी की पूजा साँपों से रक्षा और सुख-समृद्धि के लिए की जाती है।
जन्म – विक्रम संवत 1003 में चुरू जिले के ददरेवा गाँव में हुआ | ददरेवा को शीर्ष मेढ़ी भी कहते है |
पिता – जेवर सिंह
माता – बाछल देवी
उपनाम – जाहरपीर ( गजनवी ने कहा ) , नागो के देवता , नागराज का अवतार , गोगापीर , जीवित पीर
पुत्र – केसरिया कुंवर
पौत्र – सामंत चौहान
गुरु – गोरखनाथ ( इन्ही के आशीर्वाद से इनका जन्म हुआ )
पत्नी – कोलुमंड की राजकुमारी केलमदे
मेला – भाद्रपद कृष्ण नवमी को गोगामेडी हनुमानगढ़
ग्रन्थ | रचयिता |
गोगाजी रा रसावाला | कवी मेह |
कायम रासो (गोगाजी और गजनवी के संघर्ष का विवरण) | जानकवि |
समाधि स्थल – गोगामेढ़ी गोगामेडी हनुमानगढ़ को धुरमेढ़ी भी कहते है |
गोगाजी की ओल्डी सांचौर में है |
गोगाजी के थान खेजड़ी वृक्ष के निचे होते है | जहाँ एक पत्थर पर सर्प की आकृति अंकित होती है |