शीतला माता मंदिर, जोधपुर व जयपुर का इतिहास, कथा, धार्मिक महत्व, शीतलाष्टमी, बास्योड़ा परंपरा और देवी की विशेष मान्यताओं की पूरी जानकारी।
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देवी: शीतला माता (शीतलता प्रदान करने वाली)
अन्य नाम: मातामाई, महामाई, माई अनामा, सैढ़ल माता
प्रमुख मंदिर: जोधपुर (कागा क्षेत्र), जयपुर (चाकसू शील डूंगरी)
महत्व: चेचक निरोधक देवी, बच्चों की संरक्षिका
पूजा: राजस्थान, उत्तर भारत, पश्चिम भारत
जोधपुर का शीतला माता मंदिर
इतिहास
पुराना स्थान: जोधपुर दुर्ग
घटना: महाराजा विजयसिंह के पुत्र सरदार सिंह की मृत्यु (माता निकलने से)
परिणाम: मूर्ति पहाड़ों में फिंकवाई, खंडित रूप
विशेषता: एकमात्र देवी जो खंडित रूप में पूजी जाती हैं
वर्तमान स्थान: कागा क्षेत्र, जोधपुर
जयपुर का शीतला माता मंदिर
शील डूंगरी मंदिर
निर्माता: सवाई माधोसिंह
स्थान: चाकसू, जयपुर
प्रसिद्धि: सम्पूर्ण राजस्थान में विख्यात
मान्यता: शक्ति व चचक रोग निवारण हेतु
धार्मिक मान्यता और पूजा पद्धति (H2)
मान्यता
देवी: शरीर की गर्मी शीतल करने वाली
वाहन: गधा
पुजारी: कुम्हार जाति
बच्चों की संरक्षिका
शीतलाष्टमी (H3)
तिथि: चैत्र कृष्ण अष्टमी
विशेषता: बास्योड़ा मनाना (ठंडा भोजन करना)
परंपरा: रात का बचा हुआ भोजन ग्रहण
खेजड़ी (जांटी) की पूजा = शीतला की पूजा
शीतला माता के अन्य रूप और नाम
उत्तर भारत: मातामाई, महामाई
पश्चिम भारत: माई अनामा
राजस्थान: सैढ़ल माता / शीतला माता
सारांश
शीतला माता: चचक निरोधक देवी
मंदिर: जोधपुर (कागा), जयपुर (शील डूंगरी)
विशेषता: खंडित मूर्ति पूजा (जोधपुर)
त्यौहार: शीतलाष्टमी (बास्योड़ा भोजन)
वाहन: गधा, पुजारी: कुम्हार
बच्चों की संरक्षिका
Table – Quick Facts
विषय | जानकारी |
देवी का नाम | शीतला माता |
अन्य नाम | मातामाई, महामाई, माई अनामा, सैढ़ल माता |
प्रमुख मंदिर | जोधपुर (कागा क्षेत्र), जयपुर (शील डूंगरी) |
विशेषता | (जोधपुर) खंडित मूर्ति की पूजा |
निर्माता | (जयपुर) सवाई माधोसिंह |
वाहन | गधा |
पुजारी | कुम्हार |
त्यौहार | चैत्र कृष्ण अष्टमी (शीतलाष्टमी) |
परंपरा | बास्योड़ा (ठंडा भोजन) |
मान्यता | चेचक निरोधक, बच्चों की संरक्षिका |