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आई माता बिलाड़ा| सीरवी समाज की कुलदेवी, इतिहास, मंदिर और धार्मिक महत्व

आई माता बिलाड़ा| सीरवी समाज की कुलदेवी, इतिहास, मंदिर और धार्मिक महत्व

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आई माता बिलाड़ा , जिन्हें सीरवी समाज की कुलदेवी माना जाता है, जोधपुर जिले के बिलाड़ा कस्बे में पूजित हैं। बीका डाभी की पुत्री आई, भक्त रैदास और बाबा रामदेव की शिष्या रही। कहा जाता है कि मांडू का बादशाह इन्हें अपनी बेगम बनाना चाहता था, लेकिन उन्होंने तपस्या के बल पर बिलाड़ा में ज्योतिस्वरूप विलीन होकर देवत्व प्राप्त किया। आई माता को नवदुर्गा (मानी देवी) का अवतार माना जाता है। बिलाड़ा में स्थित इनके मंदिर को भक्त ‘दरगाह’ कहते हैं, जहाँ ‘बडेर’ स्थान पर अखण्ड ज्योति प्रज्ज्वलित रहती है जिससे केसर टपकती है। यह स्थान आस्था और भक्ति का अद्भुत प्रतीक है।

आई माता का परिचय

नाम: बीका डाभी की पुत्री, कन्या आई

भक्त रैदास की शिष्या

बाबा रामदेव की शिष्या

नवदुर्गा (मानी देवी) का अवतार

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

स्थान: मालवा से मारवाड़ आगमन

कारण: मांडू का बादशाह विवाह प्रस्ताव

पिता के साथ बिलाड़ा आगमन

तपस्या द्वारा ज्योतिस्वरूप विलीन

बिलाड़ा और आई माता मंदिर

मंदिर = ‘दरगाह’ के नाम से विख्यात

थान = ‘बडेर’ कहा जाता है

अखण्ड ज्योति प्रज्ज्वलित

ज्योति से केसर टपकना → आस्था का केंद्र

धार्मिक महत्व

सीरवी समाज की कुलदेवी

भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी

राजस्थान व मध्यप्रदेश दोनों क्षेत्रों में मान्यता

दर्शन के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं

FAQs (Frequently Asked Questions)

Q1. आई माता कौन थीं?

A1. बीका डाभी की पुत्री, भक्त रैदास और बाबा रामदेव की शिष्या, जिन्हें नवदुर्गा का अवतार माना जाता है।

Q2. आई माता का मंदिर कहाँ स्थित है?

A2. जोधपुर जिले के बिलाड़ा कस्बे में।

Q3. आई माता को कौन-सा समुदाय कुलदेवी मानता है?

A3. सीरवी समाज।

Q4. आई माता के मंदिर को क्या कहा जाता है?

A4. भक्त इसे ‘दरगाह’ कहते हैं।

Q5. बडेर क्या है?

A5. मंदिर का विशेष स्थान जहाँ अखण्ड ज्योति प्रज्ज्वलित रहती है और केसर टपकता है।

विषय विवरण
नाम आई माता
जन्म बीका डाभी की पुत्री
शिष्यत्व   भक्त रैदास व बाबा रामदेव
अवतार नवदुर्गा (मानी देवी)
स्थान बिलाड़ा, जोधपुर
मंदिर नाम  दरगाह
विशेष स्थान बडेर
चमत्कार अखण्ड  ज्योति, केसर टपकना
कुलदेवी  सीरवी समाज

सारांश (Summary):

आई माता – सीरवी समाज की कुलदेवी, भक्त रैदास और बाबा रामदेव की शिष्या, और नवदुर्गा का अवतार मानी जाने वाली। बिलाड़ा (जोधपुर) में स्थित मंदिर व बडेर, अखण्ड ज्योति और टपकते केसर की परंपरा इस स्थान को विशिष्ट बनाती है। मालवा से मारवाड़ तक की उनकी यात्रा, तपस्या और दिव्यता आज भी भक्तों की आस्था का केंद्र है।