तेजाजी /राजस्थान लोकदेवता

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राजस्थान लोकदेवता तेजाजी की प्रतिमा

राजस्थान के लोकदेवता तेजाजी: वीरता, लोक कथाओ और भक्तिभाव के प्रतिक| नागदेवता के रूप में उनकी महिमा आज भी अमर है | आये जाने तेजाजी का सक्षिप्त विवरण

तेजाजी का जीवन परिचय

जन्म- खड़नाल (नागौर) में विक्रम संवत 1130 में माघ शुक्ला चतुर्दशी को

पिता- ताहडजी जाट

माता- राम कुंवरी

पत्नी- पेमलदे (पनेर के रामचंद्र जी की पुत्री थी)

ये नागौर के नागवंशीय जाट थे जाट समाज इन्हें अपना आराध्य देव मानता है।

घोड़ी- लीलण सीणगारी

मृत्यु- भाद्रपद शुक्ला दशमी को सुरसुरा (किशनगढ़, अजमेर में)

थान/मंदिर- परबतसर, सुरसुरा, ब्यावर, सेन्द्रिया, भांवता एवं जन्म स्थान खड़नाल में।

तेजाजी की जागीर्ण सुरसुरा में निकाली जाती है।

तेजाजी के उपनाम- काला और बाला देवता, गौ रक्षक देवता, सर्पों के देवता

विवरण

तेजाजी ने लाछा गुजरी की गायों को मेरो से छुड़ाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था।

नागौर जिले के परबतसर कस्बे में भाद्रपद शुक्ला दशमी को राजस्थान के लोकदेवता तेजाजी का बहुत बड़ा पशु मेला भरता है जहां पशुओं का क्रय विक्रय किया जाता है।

राजस्थान का किसान तेजाजी के गीत जिसे तेजाटेर कहते है उसी के साथ अपने खेत में फसलों की बुवाई चालु करता है।

तेजाजी के थान पर सर्प व कुत्ते काटने पर इलाज किया जाता है।

तेजाजी के आराध्य स्थान प्रसिद्धि का कारण
मान्दवालिया लाछा गुजरी की गायो को मेर/मीणा से बचाया
पनेर ( अजमेर ) तेजाजी का ससुराल
सेंदरिया तेजाजी को नाग ने डसा
सुरसुरा तेजाजी का निधन हुआ
बासी डूंगरी ( बूंदी ) तेजाजी की कर्मस्थली
खरनाल ( नागोर ) तेजाजी की जन्मस्थली
परबतसर ( नागोर ) यहा तेजाजी का पशुमेला भरता है
भांवता ( अजमेर ) यहा गौ मूत्र से सांप काटे व्यक्ति का इलाज होता है
ब्यावर यहा तेजाजी चौक है

सारांश

तेजाजी महाराज राजस्थान के लोकदेवता हैं, जिन्हें नागों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। उनका जीवन साहस, सत्य और लोककल्याण से जुड़ा हुआ है। लोककथाओं और गीतों में उनकी वीरता और लोकसेवा की गाथाएँ आज भी सुनाई जाती हैं। ग्रामीण समाज उन्हें रक्षक और संकटमोचक मानकर श्रद्धा से पूजता है।